नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। ॥ शंकर मेरा प्यारा, शंकर मेरा प्यारा…॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ https://trackbookmark.com/story19739749/the-shiv-chalisa-in-hindi-diaries
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